फैक्ट चैक: इसरो के लॉन्चपैड बनाने वाली कंपनी एचईसी के कर्मचारियों को नहीं मिला 18 महीनों का वेतन? जानिए बीबीसी हिंदी की वायरल खबर का सच ?
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सोशल मीडिया पर आए दिन कई तरह की फेक न्यूज़ फैलाई जाती है। इन फेक न्यूज़ को या तो मैसेज के जरिए या फिर वीडियो की मदद से विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक लोगों से शेयर किया जाता है। हाल ही में, सोशल मीडिया पर हैवी इंजीनियरिंग कॉपरोरेशन लिमिटेड (एचईसी) को लेकर एक भ्रामक दावे की खबर वायरल हो रही है। यह दावा बीबीसी हिंदी ने अपनी एक न्यूज रिपोर्ट में किया है। बीबीसी हिंदी के न्यूज आर्टिकल की हेडलाइन में लिखा गया है कि इसरो के लॉन्चपैड निर्माण करने वाली (एचईसी) के कर्मचारियों को 18 महीनों का वेतन नही मिला है।
पड़ताल- भारत सरकार की फैक्ट चेक एजेंसी पीआईबी ने जब वायरल खबर की पड़ताल की, जिसमें दावा को फर्जी पाया। पीआईबी ने इसकी सूचना अपने आधिकारिक ट्विटर एक्स के जरिए शेयर की। पीआईबी ने अपने ट्विट में लिखा, " बीबीसी हिंदी ने अपने एक न्यूज आर्टिकल में दावा किया है कि #ISRO के लिए लॉन्चपैड बनाने वाले हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचईसी) के कर्मचारियों का 18 महीने का वेतन बकाया है।" पीआईबी ने ट्विट में आगे लिखा, " यह हेडलाइन भ्रामक है। एचईसी को चंद्रयान 3 के किसी भी घटक के निमार्ण से जुड़े कार्य की जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। एचईसी ने 2003 से 2010 तक इसरो के लिए कुछ बुनियादी ढ़ांचे की आपूर्ति की थी।
क्या है निष्कर्ष
वायरल खबर की पड़ताल में पीआईबी ने इसरो के लॉन्चपैड बनाने वाली कंपनी के दावों को फर्जी पाया।
.@BBCHindi ने अपने एक आर्टिकल के हेडलाइन में दावा किया है कि #ISRO के लिए लॉन्चपैड बनाने वाले हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचईसी) के कर्मचारियों का 18 महीने का वेतन बकाया है#PIBFactCheck:
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) September 18, 2023
▶️ यह हेडलाइन भ्रामक है pic.twitter.com/vvYXD8n1ST